राष्ट्रकूट वंश | प्रशासन, विजय अभियान और स्थापत्य कला | UPSC, SSC एवं सरकारी परीक्षाओं के लिए संपूर्ण अध्ययन

📜 राष्ट्रकूट वंश (Rashtrakuta Dynasty) – दक्षिण भारत का महान साम्राज्य 

राष्ट्रकूट वंश के उदय, प्रमुख शासक, प्रशासनिक व्यवस्था, विजय अभियान, कला और संस्कृति पर संपूर्ण जानकारी। UPSC, SSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए प्रमाणिक ऐतिहासिक अध्ययन।




🔷 प्रस्तावना

राष्ट्रकूट वंश (753-982 ईस्वी) दक्षिण भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था, जिसने दक्कन से लेकर उत्तर भारत और दक्षिण भारत के कई हिस्सों पर शासन किया। यह वंश विशेष रूप से एलोरा की कैलाशनाथ गुफा, सैन्य विजय और प्रशासनिक दक्षता के लिए प्रसिद्ध था।

राजधानी: मान्यखेत (Manyakheta)
संस्थापक: दंतिदुर्ग (Dantidurga)
प्रसिद्ध शासक: कृष्ण प्रथम, गोविंद तृतीय, अमोघवर्ष
धार्मिक संरक्षण: हिंदू धर्म, जैन धर्म
प्रमुख स्थापत्य निर्माण: एलोरा का कैलाशनाथ मंदिर

राष्ट्रकूटों ने उत्तर भारत में त्रिपक्षीय संघर्ष (Tripartite Struggle) में पाल और प्रतिहारों से संघर्ष किया और कई दशकों तक कन्नौज पर शासन किया।


🔷 राष्ट्रकूट वंश का उदय और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

राजनीतिक अस्थिरता और दंतिदुर्ग का उत्थान

8वीं शताब्दी में चालुक्य वंश के पतन के बाद, दंतिदुर्ग ने राष्ट्रकूट साम्राज्य की स्थापना की।

दंतिदुर्ग (753-775 ईस्वी) ने चालुक्यों को हराकर स्वतंत्र राष्ट्रकूट साम्राज्य स्थापित किया।
उसके उत्तराधिकारी कृष्ण प्रथम ने एलोरा में भव्य कैलाशनाथ मंदिर बनवाया।
राष्ट्रकूट शासकों ने उत्तर भारत में सैन्य विजय प्राप्त की।

🔗 राष्ट्रकूट वंश पर शोधArchaeological Survey of India


🔷 शासन और प्रशासन

राष्ट्रकूट प्रशासन अत्यंत संगठित था और इसने दक्षिण भारत में एक मजबूत राज्य की स्थापना की।

राज्य संरचना

राजा (King): राष्ट्रकूट शासक सर्वोच्च शासक थे।
विषय (Provinces): राज्य को कई विषयों में विभाजित किया गया।
मंडल (Districts): प्रत्येक विषय को मंडलों में विभाजित किया गया।
ग्राम (Village Councils): ग्रामीण स्तर पर स्वायत्त प्रशासनिक व्यवस्था थी।

प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी

  • महासंधिविग्रहिक (Foreign Minister)
  • महादंडनायक (Chief Justice)
  • महाप्रतिहार (Military Commander)

🔗 प्राचीन भारतीय प्रशासन पर शोधNational Museum of India


🔷 प्रमुख शासक और उनके योगदान

1️⃣ दंतिदुर्ग (753-775 ईस्वी) – राष्ट्रकूट वंश का संस्थापक

✅ चालुक्य साम्राज्य को पराजित कर राष्ट्रकूट वंश की स्थापना की।
✅ सैन्य शक्ति को संगठित किया।


2️⃣ कृष्ण प्रथम (775-795 ईस्वी) – स्थापत्य कला का स्वर्णयुग

✅ एलोरा में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
✅ कन्नौज पर नियंत्रण स्थापित किया।


3️⃣ गोविंद तृतीय (793-814 ईस्वी) – राष्ट्रकूट शक्ति का विस्तार

✅ उत्तर भारत में प्रतिहारों और पालों को पराजित किया।
✅ कांचीपुरम पर विजय प्राप्त की।


4️⃣ अमोघवर्ष प्रथम (814-878 ईस्वी) – सांस्कृतिक समृद्धि

✅ प्रशासनिक और साहित्यिक क्षेत्र में योगदान दिया।
कन्नड़ भाषा के साहित्य को बढ़ावा दिया।

🔗 राष्ट्रकूट स्थापत्य पर शोधUNESCO World Heritage


🔷 संस्कृति और कला

राष्ट्रकूट शासकों ने भारतीय कला, साहित्य और शिक्षा को ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

एलोरा के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण।
संस्कृत और कन्नड़ साहित्य को संरक्षण।
मूर्तिकला और मंदिर स्थापत्य में उत्कृष्टता।

🔗 राष्ट्रकूट स्थापत्य पर शोधUNESCO World Heritage


🔷 राष्ट्रकूट वंश का पतन और उत्तराधिकारी राज्य

✅ 10वीं शताब्दी में चालुक्य वंश ने राष्ट्रकूटों को हराकर सत्ता प्राप्त की।
982 ईस्वी में राष्ट्रकूट साम्राज्य का अंत हुआ।

🔗 राष्ट्रकूट वंश के पतन पर शोधCambridge Ancient History


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🔷 निष्कर्ष

राष्ट्रकूट वंश दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था।
इसने स्थापत्य कला, साहित्य और प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
एलोरा के कैलाशनाथ मंदिर राष्ट्रकूट स्थापत्य की महानतम उपलब्धि थी।
राष्ट्रकूटों ने उत्तर भारत में प्रतिहारों और पालों के खिलाफ सैन्य विजय प्राप्त की।

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