गुलाम वंश (Slave Dynasty) – कुतुबुद्दीन ऐबक से बलबन तक का संपूर्ण इतिहास

गुलाम वंश – कुतुबुद्दीन ऐबक से बलबन तक (1206 – 1290 ईस्वी)

जानिए भारत में गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक से बलबन तक की संपूर्ण जानकारी, प्रशासनिक सुधार, युद्ध, और ऐतिहासिक योगदान। UPSC, SSC, एवं अन्य परीक्षाओं हेतु महत्वपूर्ण।


🔹 गुलाम वंश का परिचय

गुलाम वंश (Slave Dynasty) दिल्ली सल्तनत का पहला शासक वंश था, जिसकी स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutb-ud-din Aibak) ने 1206 ईस्वी में की थी। यह वंश मुख्य रूप से तुर्की मूल के गुलामों (दासों) द्वारा शासित था, जिन्होंने अपनी क्षमता और योग्यता के बल पर सत्ता प्राप्त की।


🔹 गुलाम वंश के प्रमुख शासक (Chronological Order)






🔹 गुलाम वंश के प्रमुख शासक एवं उनकी नीतियाँ

1️⃣ कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 – 1210 ईस्वी)

  • मूलतः तुर्क गुलाम था, जिसने मुहम्मद गौरी के सेनापति के रूप में कार्य किया।
  • 1206 ईस्वी में गौरी की मृत्यु के बाद, दिल्ली सल्तनत की स्थापना की।
  • ऐबक को "लाख बख्श" (Lakh Baksh) कहा जाता था, क्योंकि वह बहुत उदार था।
  • कुतुब मीनार (Qutub Minar) का निर्माण शुरू करवाया, लेकिन मृत्यु के कारण इसे पूरा नहीं कर सका।
  • लाहौर में अर्ध-स्वतंत्र शासक के रूप में शासन किया।
  • 1210 ईस्वी में घोड़े से गिरकर मृत्यु हो गई।

2️⃣ इल्तुतमिश (1211 – 1236 ईस्वी)

  • ऐबक का दामाद एवं सक्षम उत्तराधिकारी था।
  • तुर्कान-ए-चिहलगानी (Turkan-e-Chihalgani) नामक 40 प्रमुख तुर्की अमीरों का संगठन बनाया।
  • रुपिया और टंका (Silver Tanka & Jital) सिक्के जारी किए।
  • 1221 में चंगेज़ ख़ान के मंगोलों का हमला, लेकिन चतुराई से दिल्ली को बचाया।
  • दिल्ली को राजधानी बनाया।
  • 1236 में मृत्यु, उत्तराधिकारी के रूप में रज़िया सुल्तान को नामित किया।

3️⃣ रज़िया सुल्तान (1236 – 1240 ईस्वी)

  • भारत की पहली और अंतिम महिला मुस्लिम शासक
  • घुड़सवारी, युद्धकला और प्रशासन में दक्ष थी।
  • पुरुषों की तरह कपड़े पहनती थी और खुले दरबार में जाती थी।
  • शासनकाल में तुर्क अमीरों (चिहलगानी) का विरोध झेलना पड़ा।
  • अंततः 1240 में हत्या कर दी गई

4️⃣ गयासुद्दीन बलबन (1266 – 1287 ईस्वी)

  • दिल्ली सल्तनत का सबसे शक्तिशाली शासक
  • "नियम और अनुशासन" (Niyam aur Anushasan) की नीति अपनाई।
  • सजदा और पैबोस (सुल्तान के सामने सिर झुकाना) परंपरा शुरू की।
  • मंगोल आक्रमणों से सुरक्षा हेतु कठोर सैन्य सुधार किए।
  • नौकरशाही को सुदृढ़ किया और जासूसी व्यवस्था मजबूत की।
  • 1287 में मृत्यु, उत्तराधिकारी कमजोर निकले, जिससे खिलजी वंश का उदय हुआ।

🔹 गुलाम वंश का योगदान

प्रशासनिक सुधार – एक संगठित प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की।
सैन्य सुधार – पहली बार एक सुसंगठित सेना का गठन हुआ।
कला एवं स्थापत्य – कुतुब मीनार, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद जैसी संरचनाएँ।
धार्मिक सहिष्णुता – इस्लामी कानूनों को प्रभावी बनाया गया।
राजनीतिक स्थिरता – दिल्ली सल्तनत की नींव रखी गई।


🔹 गुलाम वंश का पतन और अंत

  • बलबन की मृत्यु के बाद कमजोर शासक आए।
  • 1287-1290 के बीच अराजकता और षड्यंत्रों का दौर चला।
  • अंततः 1290 में जलालुद्दीन खिलजी ने सत्ता हथिया ली और खिलजी वंश की स्थापना की।

📌 UPSC, SSC, एवं अन्य परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

🔹 भारत का पहला मुस्लिम शासक कौन था? – कुतुबुद्दीन ऐबक
🔹 दिल्ली सल्तनत का संस्थापक कौन था? – कुतुबुद्दीन ऐबक
🔹 रुपिया और टंका सिक्का किसने जारी किया? – इल्तुतमिश
🔹 भारत की पहली महिला शासक कौन थी? – रज़िया सुल्तान
🔹 मंगोल आक्रमण से किस शासक ने दिल्ली को बचाया? – इल्तुतमिश
🔹 "नियम और अनुशासन" की नीति किसने अपनाई? – बलबन


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📌 निष्कर्ष

गुलाम वंश ने दिल्ली सल्तनत की नींव रखी और प्रशासनिक, सैन्य और सांस्कृतिक सुधार किए। हालाँकि, कमजोर उत्तराधिकारियों और तुर्की अमीरों के षड्यंत्रों के कारण यह वंश लंबे समय तक सत्ता में नहीं रह सका। अंततः 1290 में खिलजी वंश ने सत्ता संभाली, जिसने दिल्ली सल्तनत को एक नई दिशा दी।

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