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भारत में जल परिवहन प्रणाली, जिसमें अंतर्देशीय जलमार्ग और समुद्री परिवहन शामिल हैं, देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल माल और यात्रियों की आवाजाही को सुगम बनाती है, बल्कि परिवहन लागत को कम करने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है।
अंतर्देशीय जलमार्गों में नदियाँ, नहरें, झीलें और अन्य नौगम्य जल निकाय शामिल हैं, जो देश के भीतर माल और यात्रियों के परिवहन का साधन प्रदान करते हैं। भारत में लगभग 14,500 किलोमीटर नौगम्य जलमार्ग हैं, जिनमें से 5,200 किलोमीटर नदियाँ और 4,000 किलोमीटर नहरें हैं।
इस अधिनियम के माध्यम से 111 अंतर्देशीय जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया, जो 24 राज्यों में फैले हुए हैं और कुल 20,275 किलोमीटर की लंबाई को कवर करते हैं।
1986 में स्थापित IWAI, राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास, रखरखाव और विनियमन के लिए जिम्मेदार स्वायत्त संगठन है।
सरकार ने जलमार्ग विकास परियोजना (JMVP) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली) पर नौवहन की क्षमता में वृद्धि करना है।
हाल ही में, IWAI ने 17 शहरों में शहरी जल परिवहन प्रणाली विकसित करने की मंजूरी दी है, जो मुख्य भूमि को आस-पास के नगर पालिकाओं, पंचायत क्षेत्रों और द्वीपों से जोड़ती है।
भारत के समुद्री परिवहन में 12 प्रमुख और 200 से अधिक गैर-प्रमुख बंदरगाह शामिल हैं, जो देश के आयात-निर्यात व्यापार का लगभग 95% भार संभालते हैं। ये बंदरगाह न केवल व्यापार को सुगम बनाते हैं, बल्कि रोजगार सृजन और क्षेत्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सागरमाला परियोजना का उद्देश्य तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिले।
लॉजिस्टिक्स लागत में कमी: सड़क और रेल परिवहन की तुलना में जल परिवहन अधिक किफायती है, जिससे कुल लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आती है।
पर्यावरणीय अनुकूलता: जल परिवहन कम ईंधन खपत और कम कार्बन उत्सर्जन के कारण पर्यावरण के लिए लाभदायक है।
भीड़भाड़ में कमी: सड़क और रेल नेटवर्क पर भार कम करके जलमार्ग भीड़भाड़ को कम करने में मदद करते हैं।
बुनियादी ढाँचे की कमी: आधुनिक टर्मिनल, जेटी और नौवहन उपकरणों की सीमित उपलब्धता।
नौगम्यता संबंधी समस्याएँ: नदियों में मौसमी उतार-चढ़ाव के कारण नौवहन में बाधाएँ।
प्रतिस्पर्धा: सड़क और रेल परिवहन के स्थापित नेटवर्क के साथ प्रतिस्पर्धा।
निवेश और विकास: बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश बढ़ाना।
नीतिगत समर्थन: सरकारी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से जल परिवहन को प्रोत्साहन देना।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी: निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना।
भारत में जल परिवहन, विशेषकर अंतर्देशीय जलमार्ग और समुद्री परिवहन, आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और लॉजिस्टिक्स दक्षता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकारी पहलों और नीतियों के माध्यम से इनका सतत विकास देश की परिवहन प्रणाली को और मजबूत करेगा।
नीचे दी गई प्रश्नोत्तरी UPSC, राज्य PSC, SSC, रेलवे, बैंकिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण और अपडेटेड है।
📌 उत्तर: 111 (राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत घोषित)
📌 उत्तर: राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (NW-1) गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (1,620 किमी)
📌 उत्तर: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल
📌 उत्तर: 1986 में (भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण - IWAI)
📌 उत्तर: जलमार्ग विकास परियोजना (Jal Marg Vikas Project - JMVP)
📌 उत्तर: 'जलवाहक योजना' (जिसमें 300 किमी से अधिक जलमार्ग परिवहन पर 35% सब्सिडी दी जाती है)
📌 उत्तर: राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (NW-2) - ब्रह्मपुत्र नदी (असम)
📌 उत्तर: पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (Ministry of Ports, Shipping & Waterways)
📌 उत्तर: सागरमाला परियोजना (Sagarmala Project)
📌 उत्तर: केरल में (भारत का प्रमुख शिपयार्ड)
📌 उत्तर: 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 से अधिक गैर-प्रमुख बंदरगाह
📌 उत्तर: जवाहारलाल नेहरू पोर्ट (JNPT), नवी मुंबई
📌 उत्तर: कांडला (दीनदयाल) पोर्ट, गुजरात
📌 उत्तर: मुंबई पोर्ट
📌 उत्तर: विशाखापत्तनम पोर्ट (आंध्र प्रदेश)
📌 उत्तर: सागरमाला परियोजना (Sagarmala Project)
📌 उत्तर: एन्नोर पोर्ट (Kamarajar Port, तमिलनाडु)
📌 उत्तर: ~95% (भारतीय व्यापार का अधिकांश भाग समुद्री परिवहन पर निर्भर है)
📌 उत्तर: गुजरात (42 छोटे व मध्यम बंदरगाह)
📌 उत्तर: भारत-विश्व बैंक समुद्री गलियारा परियोजना
📌 उत्तर: तटीय और अंतर्देशीय जलमार्गों को मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क से जोड़कर लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना
📌 उत्तर: 2015 में
📌 उत्तर: 577 बंदरगाह और संबद्ध विकास परियोजनाएँ
📌 उत्तर: गुजरात (मुड्रा पोर्ट पर स्थित)
📌 उत्तर: ~2% की वृद्धि अनुमानित
🔹 अंतर्देशीय जलमार्गों से परिवहन की लागत: सड़क और रेल मार्ग की तुलना में 30% से 50% कम
🔹 सबसे अधिक व्यस्त अंतर्देशीय जलमार्ग: NW-1 (गंगा)
🔹 विश्व के सबसे बड़े जलमार्ग नेटवर्क में भारत का स्थान: टॉप 10 में
🔹 भारत के सबसे बड़े क्रूज टर्मिनल का स्थान: मुंबई पोर्ट
🔹 2030 तक भारत के जल परिवहन में अनुमानित वृद्धि: 2.5 गुना तक
📌 भारत में जल परिवहन (अंतर्देशीय जलमार्ग और समुद्री परिवहन) देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए रीढ़ की हड्डी के समान है।
📌 सागरमाला परियोजना और राष्ट्रीय जलमार्ग विकास योजनाएँ, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और पर्यावरणीय प्रभाव को घटाने में सहायक साबित हो रही हैं।
📌 सरकारी पहलों और नई नीतियों के कारण भारत का जल परिवहन क्षेत्र 2030 तक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की राह पर है।
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