बंगाल, अवध और मैसूर – क्षेत्रीय शक्तियों का उभरना

बंगाल, अवध और मैसूर – क्षेत्रीय शक्तियों का उभरना

भारत में क्षेत्रीय शक्तियों का उत्थान: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारत के इतिहास में मुगल साम्राज्य की गिरावट के बाद क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ। इनमें बंगाल, अवध और मैसूर प्रमुख थे। ये शक्तियाँ न केवल अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र शासन स्थापित करने में सफल रहीं, बल्कि उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


बंगाल – नवाबों का स्वर्ण युग (1717-1765)

बंगाल की स्वतंत्रता और नवाबी शासन

  • मुगलों से स्वतंत्रता: मुगल साम्राज्य के कमजोर होने पर, मुरशिद कुली खान ने 1717 में बंगाल के पहले स्वतंत्र नवाब के रूप में शासन संभाला।
  • प्रशासनिक सुधार: बंगाल को एक समृद्ध क्षेत्र बनाने के लिए प्रशासनिक और आर्थिक सुधार लागू किए गए।
  • अंग्रेजों के साथ संघर्ष: बंगाल के नवाबों ने ईस्ट इंडिया कंपनी से व्यापारिक संबंध बनाए लेकिन पलासी के युद्ध (1757) में सिराजुद्दौला की हार के बाद अंग्रेजों ने बंगाल पर नियंत्रण कर लिया।

आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव

  • कपास, रेशम और जूट उद्योग का विकास
  • मुगल वास्तुकला और बंगाली संस्कृति का समन्वय
  • अंग्रेजों द्वारा बंगाल की अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण

📌 प्रमुख तथ्य: बंगाल भारत का पहला क्षेत्र था जो अंग्रेजों के नियंत्रण में आया और यह ब्रिटिश भारत की नींव बना।


अवध – नवाबी शासन और सामाजिक सुधार (1722-1856)

अवध की स्थापना

  • सआदत अली खान ने 1722 में अवध को स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित किया।
  • लखनऊ केंद्र बना: अवध की राजधानी लखनऊ बन गई, जो सांस्कृतिक और वास्तुकला का प्रमुख केंद्र बना।

प्रशासनिक और सैन्य सुधार

  • राजस्व प्रणाली का सुधार: ज़मींदारी व्यवस्था लागू की गई जिससे कृषि उत्पादन बढ़ा।
  • सैन्य सुदृढ़ीकरण: नवाबों ने अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए मजबूत सेना तैयार की।

अवध की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत

  • शास्त्रीय संगीत और कला का उत्कर्ष: ठुमरी, कथक और ग़ज़ल जैसे कला रूप फले-फूले।
  • शाही इमारतें और वास्तुकला: रूमी दरवाज़ा, इमामबाड़ा जैसी भव्य इमारतें बनाई गईं।
  • 1856 में ब्रिटिश द्वारा विलय: लॉर्ड डलहौजी की 'डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स' नीति के तहत अवध का ब्रिटिश भारत में विलय कर दिया गया।

📌 प्रमुख तथ्य: अवध की नवाबी संस्कृति ने भारतीय कला और साहित्य को गहरा प्रभाव डाला।


मैसूर – टीपू सुल्तान और हैदर अली का शासन (1761-1799)

मैसूर साम्राज्य का उत्थान

  • हैदर अली (1761-1782): उन्होंने मैसूर को एक मजबूत शक्ति में बदला।
  • टीपू सुल्तान (1782-1799): यूरोपीय शक्तियों से मुकाबला किया और आधुनिक सैन्य रणनीतियों को अपनाया।

सैन्य और प्रशासनिक सुधार

  • रॉकेट तकनीक का विकास: टीपू सुल्तान ने लोहे के रॉकेट बनाए, जो ब्रिटिश सेना के लिए एक नई चुनौती बने।
  • अर्थव्यवस्था और व्यापार: व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ अपनाई गईं।
  • भूमि सुधार और कर प्रणाली: कृषि और व्यापार पर जोर दिया गया।

चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध (1799) और पतन

  • ब्रिटिश गठबंधन से पराजय: 1799 में श्रीरंगपट्टनम की लड़ाई में टीपू सुल्तान वीरगति को प्राप्त हुए और मैसूर ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया।

📌 प्रमुख तथ्य: टीपू सुल्तान को 'टाइगर ऑफ मैसूर' कहा जाता था और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी।


बंगाल, अवध और मैसूर का ऐतिहासिक योगदान





बंगाल, अवध और मैसूर – क्षेत्रीय शक्तियों का उभरना

बंगाल का उभरना (Rise of Bengal)

बंगाल के नवाब (1717-1765)

बंगाल की सत्ता का वास्तविक रूप से उदय मुगल साम्राज्य के पतन के साथ हुआ।

  • 1717 में मुर्शिद कुली खान बंगाल का पहला नवाब बना। उसने कर संग्रह में सुधार किया और व्यापार बढ़ाया।
  • 1740 में अलीवर्दी खान सत्ता में आया जिसने मराठा आक्रमणों का डटकर सामना किया।
  • 1756 में सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना।

प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey, 1757)

  • अंग्रेजों और सिराजुद्दौला के बीच हुआ।
  • रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजों ने मीर जाफर को नवाब बनाने का वादा कर युद्ध जीता।
  • बंगाल में अंग्रेजी सत्ता की नींव पड़ी।

बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar, 1764)

  • नवाब मीर कासिम, मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने मिलकर अंग्रेजों से युद्ध लड़ा।
  • अंग्रेजों की विजय के बाद बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी अधिकार (Revenue Rights) कंपनी को मिले।

अवध का उभरना (Rise of Awadh)

अवध के नवाब (1722-1856)

  • अवध को मुगल गवर्नर सआदत अली खान ने 1722 में स्वतंत्र राज्य बनाया।
  • शुजाउद्दौला (1754-1775) ने बंगाल के नवाब और मुगलों के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध बक्सर का युद्ध लड़ा।
  • असफउद्दौला (1775-1797) के शासन में लखनऊ राजधानी बनी और कई भवनों का निर्माण हुआ।
  • 1856 में अंग्रेजों ने ‘दोहरे शासन’ का बहाना लेकर अवध को अपने नियंत्रण में ले लिया।

अवध की विशेषताएँ

  • लखनऊ का सांस्कृतिक विकास हुआ।
  • मुगल संस्कृति और नृत्य-संगीत का संरक्षण हुआ।
  • अवध के शासक विलासिता में डूबे रहे, जिससे राज्य कमजोर हुआ।

मैसूर का उभरना (Rise of Mysore)

हैदर अली और टीपू सुल्तान का शासन

  • 1761 में हैदर अली ने मैसूर की सत्ता संभाली। उसने सेना को यूरोपीय तकनीकों से प्रशिक्षित किया।
  • उसके बेटे टीपू सुल्तान (1782-1799) ने अंग्रेजों, मराठों और निजाम के विरुद्ध युद्ध लड़ा।
  • टीपू सुल्तान ने ‘मिसाइल तकनीक’ का उपयोग किया जो बाद में यूरोपियों ने अपनाई।

मैसूर युद्ध (1767-1799)

1️⃣ पहला युद्ध (1767-1769) – हैदर अली और अंग्रेजों के बीच, कोई निर्णायक परिणाम नहीं।
2️⃣ दूसरा युद्ध (1780-1784) – हैदर अली की मृत्यु, अंग्रेजों से संघर्ष जारी।
3️⃣ तीसरा युद्ध (1790-1792) – टीपू सुल्तान की हार, श्रीरंगपट्टनम की संधि हुई।
4️⃣ चौथा युद्ध (1799) – टीपू सुल्तान की मृत्यु, मैसूर ब्रिटिश नियंत्रण में आया।


UPSC में पूछे गए प्रश्न

प्रश्न 1:

बक्सर के युद्ध (1764) के परिणामस्वरूप अंग्रेजों को कौन-से अधिकार प्राप्त हुए?
उत्तर: बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी (राजस्व अधिकार)।

प्रश्न 2:

टीपू सुल्तान को किस संधि के बाद हार माननी पड़ी?
उत्तर: श्रीरंगपट्टनम की संधि (1792)।

प्रश्न 3:

अवध के अंतिम नवाब कौन थे, जिन्हें 1856 में हटा दिया गया?
उत्तर: वाजिद अली शाह।

प्रश्न 4:

बंगाल के पहले स्वतंत्र नवाब कौन थे?
उत्तर: मुर्शिद कुली खान।

प्रश्न 5:

मैसूर की सेना ने किस युद्ध में यूरोपीय शैली की मिसाइल तकनीक अपनाई थी?
उत्तर: तीसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध (1790-1792)।


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निष्कर्ष

बंगाल, अवध और मैसूर भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण क्षेत्रीय राज्य रहे हैं। इनकी आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक नीतियाँ भारत की औपनिवेशिक संरचना को प्रभावित करने वाली थीं। इन राज्यों की पराजय से ब्रिटिश साम्राज्य को भारत में स्थायित्व मिला और औपनिवेशिक काल की शुरुआत हुई।



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