हर्षवर्धन कालीन प्रशासन और कला

हर्षवर्धन कालीन प्रशासन और कला

1. हर्षवर्धन काल (606-647 ईस्वी) की पृष्ठभूमि

हर्षवर्धन भारत के अंतिम महान सम्राटों में से एक थे, जिन्होंने उत्तर भारत के विशाल क्षेत्रों पर शासन किया। वे वर्धन वंश से संबंधित थे और उनकी राजधानी कन्नौज थी।


2. हर्षवर्धन का प्रशासनिक ढांचा

राज्य की संरचना

  • हर्ष का साम्राज्य मूल रूप से राजाओं, सामंतों, और गवर्नरों की एक संरचित प्रणाली पर आधारित था।
  • राज्य को प्रांतों (भाग), जिलों (विषय), और गांवों में विभाजित किया गया था।

राजा का स्थान और भूमिका

  • हर्ष एक शक्तिशाली और लोकप्रिय शासक थे, जो "राजा परमेश्वर" की उपाधि धारण करते थे।
  • उनका प्रशासन सुदृढ़ नौकरशाही प्रणाली पर आधारित था।

स्थानीय प्रशासन

  • गांवों और शहरों का प्रशासन स्थानीय निकायों (नगरपालिका परिषदों) के माध्यम से संचालित होता था।
  • ग्राम सभा (ग्राम प्रशासन) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी।

राजस्व प्रणाली

  • भूमि कर (भाग-भोग कर) प्रमुख आय स्रोत था।
  • व्यापार और वाणिज्य से भी कर वसूला जाता था।
  • विशेष उत्सवों और युद्ध अभियानों के लिए अतिरिक्त कर (विशेष शुल्क) भी लगाए जाते थे।

न्याय प्रणाली

  • न्यायालय धार्मिक और सामाजिक परंपराओं पर आधारित थे।
  • स्मृतियाँ और धार्मिक ग्रंथ न्याय के मुख्य आधार थे।
  • दंड व्यवस्था कठोर थी, लेकिन अपराधियों को सुधारने की नीति अपनाई जाती थी।

3. हर्षकालीन कला और स्थापत्य

मूर्तिकला और स्थापत्य कला

  • हर्ष के शासनकाल में गुप्तकालीन स्थापत्य कला का विकास जारी रहा
  • बौद्ध और हिंदू मंदिरों का निर्माण किया गया।
  • प्रमुख स्थापत्य उदाहरण कन्नौज और थानेसर के मंदिर हैं।

बौद्ध कला और स्तूप निर्माण

  • हर्ष ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, जिससे कई स्तूप और विहार बनाए गए।
  • नालंदा विश्वविद्यालय का विस्तार हुआ।
  • विक्रमशिला और ओदंतपुरी महाविहार जैसे संस्थान स्थापित किए गए।

चित्रकला और ललित कला

  • अजंता गुफाओं की चित्रकला इस काल में भी महत्वपूर्ण बनी रही।
  • राजदरबार में कवियों और कलाकारों को संरक्षण प्राप्त था।

4. हर्षकालीन साहित्य और विद्वानों का योगदान

हर्ष स्वयं एक महान लेखक थे

  • उन्होंने "नागानंद", "रत्नावली", और "प्रियदर्शिका" जैसे नाटक लिखे।

विद्वानों और कवियों को संरक्षण

  • प्रसिद्ध कवि बाणभट्ट, जिन्होंने "हर्षचरित" लिखा, हर्ष के दरबार में थे।
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी उनके शासनकाल का वर्णन किया।

संस्कृत भाषा का स्वर्ण युग

  • हर्ष के काल में संस्कृत भाषा को राजकीय संरक्षण मिला।
  • धर्मशास्त्र, काव्य, और नीति ग्रंथों की रचना हुई।

5. हर्षवर्धन के प्रशासन और कला पर विशेषज्ञों की राय

📝 बाणभट्ट (प्राचीन इतिहासकार)
"हर्ष का शासन एक सुव्यवस्थित और समृद्ध राज्य था, जहां कला और संस्कृति का उत्थान हुआ।"

📝 रॉमिला थापर (आधुनिक इतिहासकार)
"हर्ष का काल भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण संक्रमण काल था, जिसमें प्रशासनिक स्थिरता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण हुआ।"

📝 ह्वेनसांग (चीनी यात्री)
"हर्ष एक धर्मपरायण, विद्वान और दयालु शासक थे, जिन्होंने शिक्षा और कला को बढ़ावा दिया।"


6. निष्कर्ष

हर्षवर्धन का शासन प्रशासनिक दक्षता और सांस्कृतिक उत्कर्ष का काल था। उनके द्वारा विकसित न्यायिक प्रणाली, कर व्यवस्था, स्थापत्य कला, और साहित्य ने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा।

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