हुमायूँ की असफलता और शेरशाह सूरी का शासन | मुगल इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय
हुमायूँ की असफलता और शेरशाह सूरी का शासन
हुमायूँ की असफलता के कारण और शेरशाह सूरी के शासन की प्रमुख नीतियाँ। जानिए कैसे शेरशाह सूरी ने प्रशासनिक सुधार किए और मुगल साम्राज्य की नींव को हिला दिया।
🔹 हुमायूँ की असफलता: कारण और प्रभाव
📌 हुमायूँ का संघर्ष और प्रारंभिक चुनौतियाँ
✅ 1530 ई. में बाबर की मृत्यु के बाद हुमायूँ मुगल साम्राज्य का शासक बना।
✅ शासक बनने के बाद, उसे अफगानों, राजपूतों और बंगाल के शासकों से लगातार संघर्ष करना पड़ा।
✅ उसके भाइयों - कामरान, अस्करी और हिन्दाल ने उसके शासन को कमजोर करने का प्रयास किया।
📌 हुमायूँ की असफलता के प्रमुख कारण
🔻 कठोर नेतृत्व की कमी: बाबर की तरह दृढ़ न होने के कारण वह साम्राज्य को स्थिर नहीं रख सका।
🔻 भाइयों की गद्दारी: हुमायूँ के अपने ही भाई उसके विरुद्ध थे, जिससे उसकी स्थिति कमजोर हुई।
🔻 शेरशाह सूरी का उदय: अफगान नेता शेरशाह सूरी ने उसकी कमजोरी का लाभ उठाया और दिल्ली पर अधिकार कर लिया।
🔻 असंगठित सेना: उसकी सेना में अनुशासन की भारी कमी थी और अफगानों की संगठित शक्ति से कमजोर थी।
🔻 गलत रणनीति: रणनीतिक रूप से कमजोर होने के कारण वह शेरशाह सूरी से युद्धों में हार गया।
🔹 शेरशाह सूरी का शासन (1540-1545 ई.)
📌 प्रशासनिक सुधार और नीतियाँ
✔ सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था – शेरशाह ने एक सशक्त प्रशासनिक ढांचा तैयार किया।
✔ सार्वजनिक निर्माण कार्य – उसने सड़कों, कुओं और सरायों का निर्माण करवाया।
✔ राजस्व सुधार – भूमि मापन प्रणाली लागू की और करों को तर्कसंगत बनाया।
✔ सुरक्षित व्यापार मार्ग – व्यापारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस व्यवस्था को मजबूत किया।
📌 सैन्य सुधार
🟢 सीधा सैन्य नियंत्रण – शेरशाह ने सेना के वेतन और भर्ती प्रणाली को व्यवस्थित किया।
🟢 डाक व्यवस्था – एक तेज़ संचार प्रणाली बनाई जिससे प्रशासन अधिक प्रभावी बना।
🟢 सैनिक छावनियाँ – विभिन्न स्थानों पर सेना को तैनात कर सुरक्षा सुनिश्चित की।
📌 आर्थिक और सामाजिक नीतियाँ
💰 सिक्का प्रणाली का सुधार – उसने रुपया और दाम की शुरुआत की जो आगे चलकर मुगल और ब्रिटिश शासन में जारी रही।
💰 कृषि सुधार – किसानों से सीधा कर लिया गया, जिससे वे शोषण से बच सके।
💰 धार्मिक सहिष्णुता – वह सभी धर्मों के प्रति सहिष्णु था और न्यायपालिका में निष्पक्षता बनाए रखी।
🔹 शेरशाह सूरी की प्रमुख उपलब्धियाँ
🏛 ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण – इसे भारत का सबसे बड़ा व्यापार मार्ग बनाया।
🏛 सराय व्यवस्था – व्यापारियों और यात्रियों के लिए सरायों की स्थापना की।
🏛 सिक्का प्रणाली – रुपया और दाम जैसी नई मुद्रा प्रणाली लागू की।
🏛 व्यापार का विस्तार – भारत में व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा दिया।
🔹 हुमायूँ की वापसी और पुनः सत्ता प्राप्ति (1555 ई.)
🔹 शेरशाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इस्लाम शाह प्रभावी शासन नहीं कर सका।
🔹 इस्लाम शाह की मृत्यु के बाद अफगानों में आंतरिक कलह बढ़ गई।
🔹 हुमायूँ ने फारस (ईरान) से मदद लेकर दिल्ली पर आक्रमण किया और 1555 ई. में पुनः सत्ता प्राप्त की।
🔹 दुर्भाग्य से, 1556 ई. में हुमायूँ की अचानक मृत्यु हो गई और उसका पुत्र अकबर गद्दी पर बैठा।
🔹 निष्कर्ष
✔ हुमायूँ अपनी असफलताओं के लिए जाना जाता है, लेकिन उसने अंततः अपनी सत्ता वापस हासिल की।
✔ शेरशाह सूरी को एक कुशल प्रशासक माना जाता है, जिसने प्रशासनिक, सैन्य और आर्थिक सुधार किए।
✔ उसकी नीतियाँ आगे चलकर अकबर के शासन में भी प्रभावी रहीं।
📢 सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं?
🔗 Join Our Telegram Group – Sarkari Service Prep™
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें