भारतीय समाज और संस्कृति – प्रारंभिक मध्यकालीन परिवर्तन
भारतीय समाज और संस्कृति – प्रारंभिक मध्यकालीन परिवर्तन
🏛️ परिचय
प्राचीन भारत के बाद प्रारंभिक मध्यकाल (6वीं से 13वीं शताब्दी) में भारतीय समाज और संस्कृति में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। यह काल राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा। इस दौरान राजपूत, पाल, प्रतिहार, चालुक्य, चोल और अन्य साम्राज्य उभरे, इस्लामी प्रभाव बढ़ा, और सांस्कृतिक विकास हुआ।
🏰 1. सामाजिक संरचना में परिवर्तन
👑 1.1 जाति व्यवस्था का विकास
- वर्ण व्यवस्था अधिक कठोर हो गई।
- कर्मकांडीय ब्राह्मणवाद का प्रभाव बढ़ा।
- शूद्रों और महिलाओं की सामाजिक स्थिति और सीमित हो गई।
- जातिगत पेशों की स्थिरता बढ़ी।
👨👩👧 1.2 महिलाओं की स्थिति
- महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता सीमित हो गई।
- बाल विवाह, पर्दा प्रथा, और सती प्रथा प्रचलित हुई।
- कुछ क्षेत्रों में देवदासी प्रथा शुरू हुई।
🏘️ 1.3 ग्रामीण और शहरी समाज
- गाँव स्वायत्त इकाइयाँ बनी रहीं।
- नगरों में व्यापार और उद्योग बढ़ा।
- भक्ति आंदोलन और सूफी मत ने सामाजिक समानता का संदेश दिया।
🏦 2. आर्थिक परिवर्तन
🛤️ 2.1 व्यापार और वाणिज्य
- स्थलीय मार्ग: उत्तर-दक्षिण व्यापार मार्ग सक्रिय रहे।
- समुद्री व्यापार: चोलों ने दक्षिण-पूर्व एशिया में व्यापार बढ़ाया।
- व्यापारिक संघ (गिल्ड्स): शिल्पकार और व्यापारियों के संघ प्रभावशाली हुए।
💰 2.2 कृषि और राजस्व प्रणाली
- सामंतवाद की अवधारणा मजबूत हुई।
- कृषकों की स्थिति कमजोर हुई और वे सामंतों पर निर्भर हो गए।
- भूमि अनुदान बढ़े, जिससे ब्राह्मणों और मंदिरों को कर मुक्त भूमि मिली।
⛩️ 3. धार्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तन
🕉️ 3.1 हिन्दू धर्म का पुनरुत्थान
- वैष्णव, शैव और शक्ति संप्रदाय मजबूत हुए।
- मंदिर निर्माण की भव्य परंपरा विकसित हुई (चोल, चालुक्य, पल्लव)।
☸️ 3.2 बौद्ध और जैन धर्म का ह्रास
- ब्राह्मणवाद के पुनरुत्थान के कारण बौद्ध और जैन धर्म कमजोर हुए।
- विदेशी आक्रमणों से बौद्ध धर्म भारत में सिमट गया।
🕌 3.3 इस्लाम का प्रभाव
- अरब व्यापारियों के माध्यम से इस्लाम भारत में आया।
- 12वीं शताब्दी में मोहम्मद गौरी के आक्रमण से इस्लामी शासन की शुरुआत हुई।
🎭 4. कला, वास्तुकला और साहित्य
🏛️ 4.1 मंदिर निर्माण शैली
- द्रविड़ शैली: बृहदेश्वर मंदिर (चोल)।
- नागर शैली: खजुराहो के मंदिर (चंदेल)।
📜 4.2 साहित्य और भाषा
- संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ में साहित्य रचनाएँ हुईं।
- कालिदास, भवभूति, बाणभट्ट, जयदेव ने रचनाएँ लिखीं।
🔥 5. प्रारंभिक मध्यकालीन समाज का महत्व
- यह काल भारतीय संस्कृति के पुनर्गठन का समय था।
- सामंतवाद और भक्ति आंदोलन ने समाज को नया रूप दिया।
- इस्लामी प्रभाव और नए धार्मिक आंदोलनों ने विविधता को बढ़ावा दिया।
📌 निष्कर्ष
भारतीय समाज और संस्कृति में प्रारंभिक मध्यकाल में बड़े बदलाव हुए। जाति व्यवस्था कठोर हुई, महिलाओं की स्थिति कमजोर हुई, व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ीं, और धार्मिक पुनरुत्थान हुआ। इस काल ने भारत की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दिशा को स्थायी रूप से प्रभावित किया।
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