भक्ति आंदोलन: कबीर, रविदास, तुलसीदास और मीरा बाई
भक्ति आंदोलन: कबीर, रविदास, तुलसीदास और मीरा बाई
परिचय
भक्ति आंदोलन मध्यकालीन भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन था, जिसने समाज में व्याप्त कुरीतियों और भेदभाव को चुनौती दी। इस आंदोलन के प्रमुख संतों में कबीर, रविदास, तुलसीदास और मीरा बाई शामिल हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं और उपदेशों के माध्यम से समाज में प्रेम, समानता और भक्ति का संदेश फैलाया।
भक्ति आंदोलन का उद्भव और विकास
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दक्षिण भारत में प्रारंभ: भक्ति आंदोलन की शुरुआत दक्षिण भारत में आलवार (विष्णु भक्त) और नयनार (शिव भक्त) संतों द्वारा 7वीं-9वीं शताब्दी में हुई। इन संतों ने स्थानीय भाषाओं में भक्ति काव्य की रचना की, जिससे यह आंदोलन जनसामान्य तक पहुँचा।
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उत्तर भारत में प्रसार: 14वीं-17वीं शताब्दी के बीच भक्ति आंदोलन उत्तर भारत में फैला। रामानंद, कबीर, रविदास, तुलसीदास और मीरा बाई जैसे संतों ने इसे आगे बढ़ाया। इन संतों ने समाज में व्याप्त जाति-पाति, धार्मिक कट्टरता और आडंबरों का विरोध किया।
प्रमुख संत और उनका योगदान
1. संत कबीर (1440-1518)
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जीवन परिचय: कबीर का जन्म 1440 ई. में वाराणसी में हुआ था। वे जुलाहा समुदाय से थे और रामानंद के शिष्य माने जाते हैं।
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शिक्षाएँ:
- ईश्वर एक है और निराकार है।
- मूर्ति पूजा, जाति-पाति और धार्मिक आडंबरों का विरोध।
- हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल।
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रचनाएँ: कबीर की रचनाएँ 'बीजक' में संकलित हैं, जिसमें साखी, सबद और रमैनी शामिल हैं।
2. संत रविदास (1450-1520)
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जीवन परिचय: रविदास का जन्म 1450 ई. में वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर में हुआ था। वे चर्मकार समुदाय से थे और समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध हैं।
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शिक्षाएँ:
- सभी मनुष्य समान हैं; जाति-भेद का विरोध।
- ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण।
- 'बेगमपुरा' नामक आदर्श राज्य की कल्पना, जहाँ कोई दुःख और भेदभाव नहीं हो।
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रचनाएँ: रविदास के पद 'गुरु ग्रंथ साहिब' में शामिल हैं, जो उनकी भक्ति और सामाजिक समानता की भावना को दर्शाते हैं।
3. गोस्वामी तुलसीदास (1532-1623)
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जीवन परिचय: तुलसीदास का जन्म 1532 ई. में राजापुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे संस्कृत के विद्वान और राम भक्त थे।
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शिक्षाएँ:
- राम भक्ति के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति।
- सदाचार, धर्म और मर्यादा का पालन।
- सामाजिक और नैतिक मूल्यों का प्रचार।
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रचनाएँ: 'रामचरितमानस' उनकी प्रमुख रचना है, जो अवधी भाषा में लिखी गई है और राम की कथा का वर्णन करती है।
4. मीरा बाई (1498-1547)
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जीवन परिचय: मीरा बाई का जन्म 1498 ई. में कुड़की, राजस्थान में हुआ था। वे मेड़ता के राजा की पुत्री और मेवाड़ के राजघराने की बहू थीं।
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शिक्षाएँ:
- कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण।
- सामाजिक बंधनों और रूढ़ियों का त्याग।
- भक्ति मार्ग में स्त्रियों की स्वतंत्रता और अधिकार।
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रचनाएँ: मीरा बाई के भजन राजस्थानी, ब्रज और गुजराती भाषाओं में मिलते हैं, जो कृष्ण के प्रति उनकी गहन भक्ति को प्रकट करते हैं।
भक्ति आंदोलन का प्रभाव
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सामाजिक सुधार: जाति-पाति, छुआछूत और धार्मिक कट्टरता का विरोध, जिससे समाज में समानता और भाईचारे की भावना विकसित हुई।
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भाषा और साहित्य: स्थानीय भाषाओं में भक्ति काव्य की रचना से क्षेत्रीय भाषाओं और साहित्य का विकास हुआ।
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धार्मिक समन्वय: हिंदू-मुस्लिम एकता और समन्वय को प्रोत्साहन मिला, जिससे सांप्रदायिक सद्भावना बढ़ी।
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सांस्कृतिक विकास: संगीत, नृत्य और कला के माध्यम से भक्ति आंदोलन ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया।
निष्कर्ष
भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कबीर, रविदास, तुलसीदास और मीरा बाई जैसे संतों की शिक्षाएँ आज भी समाज में प्रेम, समानता और भक्ति का संदेश देती हैं। इनकी रचनाएँ और उपदेश न केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, बल्कि सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक समृद्ध
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