मराठा शक्ति का उदय – शिवाजी और मराठा प्रशासन
मराठा शक्ति का उदय – शिवाजी और मराठा प्रशासन
प्रस्तावना
मराठा शक्ति के उदय ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। 17वीं शताब्दी में शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जो बाद में भारत की एक प्रभावशाली शक्ति बन गया। इस लेख में, हम मराठा शासन, उनकी प्रशासनिक व्यवस्था, सैन्य रणनीति, और शिवाजी महाराज के योगदान पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
मराठा शक्ति का उदय
🔹 शिवाजी का जन्म और प्रारंभिक जीवन
- शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग (महाराष्ट्र) में हुआ था।
- उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर सल्तनत के अधीन थे और माता जीजाबाई ने शिवाजी को हिंदू मूल्यों एवं राजनीति की शिक्षा दी।
🔹 मराठा राज्य की स्थापना
- 1645 में, शिवाजी ने बीजापुर सल्तनत से स्वतंत्रता की घोषणा की।
- 1674 में, उन्होंने रायगढ़ में छत्रपति की उपाधि धारण की और मराठा साम्राज्य की स्थापना की।
मराठा प्रशासन की विशेषताएँ
🔹 शासन संरचना
- मराठा शासन की प्रशासनिक व्यवस्था केंद्र, प्रांतीय और ग्राम स्तरीय प्रशासन में विभाजित थी।
- अष्टप्रधान मंडल नामक एक विशेष मंत्री परिषद थी, जिसमें आठ प्रमुख मंत्री शामिल थे:
- पेशवा (प्रधान मंत्री)
- अमात्य (वित्त मंत्री)
- सुमंत (विदेश मंत्री)
- सचिव (राज्य सचिव)
- सेनापति (सैन्य प्रमुख)
- न्यायाधीश (मुख्य न्यायाधीश)
- सुमंत (वाणिज्य मंत्री)
- पंडितराव (धार्मिक मामलों के प्रमुख)
🔹 मराठा कर प्रणाली
- मराठाओं ने कर वसूली के लिए चौथ और सरदेशमुखी कर प्रणाली लागू की।
- चौथ: शत्रु प्रदेशों से लिया जाने वाला 25% कर।
- सरदेशमुखी: कुल राजस्व का 10% कर, जिसे शासक के अधिकार के रूप में वसूला जाता था।
मराठा सेना और किलेबंदी
🔹 गुरिल्ला युद्धनीति (गणिमी कावा)
- शिवाजी ने गणिमी कावा (गुरिल्ला युद्ध प्रणाली) का इस्तेमाल किया, जिससे वे मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ सफल रहे।
- युद्ध रणनीतियों में तेज हमला, छिपकर वार करना और दुश्मन को थका देना शामिल था।
🔹 प्रमुख किले
- रायगढ़ – मराठा साम्राज्य की राजधानी
- सिंहगढ़ – पुणे के पास स्थित महत्वपूर्ण किला
- प्रतापगढ़ – अफजल खान के विरुद्ध निर्णायक युद्ध का स्थल
शिवाजी के प्रशासनिक सुधार
🔹 धार्मिक सहिष्णुता
- शिवाजी ने सभी धर्मों के लोगों के साथ समान व्यवहार किया।
- उनके शासन में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही उच्च पदों पर नियुक्त किए गए।
🔹 न्यायिक प्रणाली
- मराठा शासन में एक मजबूत न्यायिक प्रणाली थी।
- गाँवों में पंचायतें न्यायिक मामलों को देखती थीं।
🔹 व्यापार और अर्थव्यवस्था
- शिवाजी ने आंतरिक व्यापार को प्रोत्साहित किया और बंदरगाहों को विकसित किया।
- मराठा व्यापारियों ने भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ अरब और यूरोपीय देशों के साथ व्यापार किया।
शिवाजी महाराज की विरासत
- हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के विचार को मूर्त रूप दिया।
- प्रशासनिक और सैन्य सुधारों से एक मजबूत मराठा राज्य की नींव रखी।
- उनके उत्तराधिकारी संभाजी महाराज, राजाराम और पेशवाओं ने मराठा सत्ता को और अधिक विस्तारित किया।
निष्कर्ष
शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठा शक्ति का उदय भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। उनकी प्रशासनिक नीतियाँ, सैन्य रणनीति, और सुशासन प्रणाली आधुनिक भारत के लिए प्रेरणा हैं। मराठा साम्राज्य ने आने वाले वर्षों में भारतीय उपमहाद्वीप में मुगलों और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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