खिलजी वंश – अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य और आर्थिक नीतियाँ
खिलजी वंश – अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य और आर्थिक नीतियाँ
📌 परिचय
खिलजी वंश (1290-1320 ई.) दिल्ली सल्तनत का एक महत्वपूर्ण राजवंश था। इस वंश के सबसे शक्तिशाली शासक अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) ने भारत में प्रशासन, सैन्य और आर्थिक सुधारों की दिशा में कई क्रांतिकारी कदम उठाए। उनकी नीतियाँ दिल्ली सल्तनत को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित हुईं। यह आलेख उनकी सैन्य और आर्थिक नीतियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
🔹 अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य नीतियाँ
अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत को बाहरी आक्रमणों और आंतरिक विद्रोहों से सुरक्षित रखने के लिए प्रभावशाली सैन्य सुधार किए। उनकी सैन्य नीतियों के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
1️⃣ स्थायी सेना की स्थापना
- अलाउद्दीन खिलजी पहला सुल्तान था जिसने स्थायी सेना (Permanent Standing Army) की स्थापना की।
- सैनिकों को नियमित वेतन दिया जाता था, जिससे सेना का मनोबल ऊँचा रहता था।
- सेना की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दाग़ और हुलिया प्रणाली शुरू की गई।
- दाग़ प्रणाली: घोड़ों पर विशेष निशान लगाए जाते थे जिससे फर्जी घोड़ों का उपयोग रोका जा सके।
- हुलिया प्रणाली: सैनिकों का शारीरिक विवरण दर्ज किया जाता था, जिससे सैनिकों की पहचान सुनिश्चित की जा सके।
2️⃣ मंगोल आक्रमणों का प्रतिरोध
- मंगोलों ने भारत पर कई बार आक्रमण किया था, लेकिन अलाउद्दीन ने सीमा सुरक्षा को मजबूत किया।
- दिल्ली और उत्तर-पश्चिमी भारत में मजबूत किलेबंदी की गई।
- 1299, 1303, और 1306 में हुए मंगोल आक्रमणों को सफलतापूर्वक रोका गया।
3️⃣ विजय अभियान और विस्तार नीति
- रणथंभौर (1301): हमीर देव चौहान को हराकर रणथंभौर पर कब्जा।
- चित्तौड़ (1303): राणा रतन सिंह की हार, जिससे चित्तौड़ सल्तनत का हिस्सा बना।
- मालवा, गुजरात और देवगिरि (1304-1308): इन क्षेत्रों पर विजय पाई, जिससे दिल्ली सल्तनत की शक्ति बढ़ी।
- दक्षिण भारत अभियान (1309-1311):
- खिलजी ने मलिक काफूर के नेतृत्व में दक्षिण भारत में अभियान चलाया।
- वारंगल, द्वारसमुद्र, मदुरै और देवगिरि पर विजय प्राप्त की।
- पहली बार दिल्ली सल्तनत का प्रभाव दक्षिण भारत तक पहुँचा।
🔹 अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीतियाँ
अलाउद्दीन खिलजी ने प्रशासन को मजबूत करने और दिल्ली सल्तनत की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए।
1️⃣ नियंत्रित बाज़ार प्रणाली (Market Control Policy)
- दिल्ली में खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित किया गया।
- सरकारी दरों पर अनाज, कपड़ा, घोड़े, दास, और अन्य आवश्यक वस्तुएँ बेची जाती थीं।
- व्यापारी सरकारी मूल्य सूची का पालन करने के लिए बाध्य थे।
- शस्त्रों और घोड़ों की कीमतों पर विशेष नियंत्रण रखा गया, ताकि सैनिकों को सस्ती दरों पर हथियार उपलब्ध हो सकें।
2️⃣ भूमि सुधार और कर प्रणाली
- ख़राज (Land Revenue): किसानों पर 50% कर लगाया गया।
- चुंगी कर (Octroi Tax) हटाया गया, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिला।
- उत्पादन को बढ़ाने के लिए कृषि प्रणाली में बदलाव किए गए।
- दूध, घी, अनाज और दालों की कीमतों को स्थिर रखने के लिए सरकारी भंडारण प्रणाली लागू की गई।
3️⃣ जमींदारों और अमीरों पर नियंत्रण
- अमीरों और उच्च वर्ग की आर्थिक शक्ति को नियंत्रित करने के लिए अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाई गई।
- शादी, उत्सव और उपहारों पर कर लगाया गया, जिससे अमीर वर्ग का शक्ति संतुलन बना रहे।
4️⃣ मुद्रा सुधार और वित्तीय नीति
- चाँदी और ताँबे के सिक्के चलाए गए।
- नकली सिक्कों की रोकथाम के लिए सरकारी नियंत्रण प्रणाली लागू की गई।
🔹 प्रसिद्ध इतिहासकारों के विचार
अलाउद्दीन खिलजी की नीतियों पर कई इतिहासकारों ने विचार व्यक्त किए हैं:
- ज़ियाउद्दीन बरनी:
- "अलाउद्दीन ने एक ऐसी शासन व्यवस्था बनाई जिसने दिल्ली सल्तनत को सबसे शक्तिशाली बना दिया।"
- सतीश चंद्र:
- "अलाउद्दीन खिलजी की बाज़ार प्रणाली भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्रांतिकारी कदम थी।"
- इरफान हबीब:
- "मंगोल आक्रमणों को रोकने में अलाउद्दीन की सैन्य नीति सबसे प्रभावी रही।"
🔹 निष्कर्ष
अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य और आर्थिक नीतियाँ दिल्ली सल्तनत के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक बनीं। उन्होंने न केवल बाहरी आक्रमणों से सल्तनत की रक्षा की, बल्कि आंतरिक प्रशासन और अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ किया। उनकी बाज़ार नियंत्रण नीति और स्थायी सेना प्रणाली भारत के इतिहास में एक अनोखी मिसाल बनी।
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